टॉपर से बातचीत
हर्षल चौधरी MPPSC – 2018 TOPPER
उत्तरः धन्यवाद सर , प्रथम स्थान आने पर बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने जब से फॉर्म भरा था तब से ही मैं हमेशा एमपीपीएससी के बारे में सोचता था उसके रिजल्ट के बारे में सोचता था, मैं अपने सपने में रिजल्ट में कभी आठवीं तो कभी बारहवी रैंक देखता था , लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी प्रथम रैंक आएगी।
उत्तर: सिविल सेवा में जाने के लिए मै बचपन से ही प्रेरित था ,जब मैं छोटा था तो मेरे दादा जी मुझे साइकिल से स्कूल ले जाते थे, तो रास्ते में यदि कोई मजदूर मिलता था, तो वो कहते थे कि इन्होने ठीक से पढ़ाई नहीं की है और जब कोई ऑफिस के बाबूजी मिलते थे तो कहते थ,े इन्होने मेहनत से पढ़ाई की है इसलिए आज यहां है, उनका भी ऐसा सपना था कि मेरा भी बेटा बड़ा हो कर कलेक्टर बने, यह जब की बात है जब मैं जानता भी नहीं था कि कलेक्टर होता क्या है।
मैं मंडला जिले के मध्यम वर्गीय परिवार से हूं, मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लिटिल फ्लावर स्कूल से की ,उसके बाद मैंने भारत ज्योति विद्यालय, मंडला से ही दसवीं पास किया ,इसके बाद मेरी बुआ जी मुझे अपने साथ भिलाई ले गई, वहाँ से मैंने डीएवी पब्लिक स्कूल से ग्यारहवीं एवं बारहवी परीक्षा पास की साथ ही AIEEE की तैयारी भी की, AIEEE में अच्छा रैंक आने के कारण मुझे NIT रायपुर मिला और वहां माइनिंग ब्रांच से मैंने बीटेक किया।
2013 में ही मेरा चयन कोल इंडिया लिमिटेड में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हो गया। उस समय मुझे कम्पनी में , शिफ्ट में ड्यूटी करनी पड़ती थी, कभी मेरी शिफ्ट सुबह 8ः00 बजे से 4ः00 होती थी , तो कभी शाम 4 से रात 12 बजे तो कभी रात 12 से सुबह 8 तक, ऐसे में समय निकालकर मैं 5 से 6 घंटे अपनी पढ़ाई को भी देता था। मेरा कोई पढ़ने का निश्चित समय नहीं था, मुझे जब भी समय मिलता था मैं उसको पढाई के लिए उपयोग कर लेता था, कभी दिन में तो कभी रात में पढ़ता था। साथ ही शनिवार, रविवार को अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाता था।
उत्तरः- हां जब मैंने राज्य लोक सेवा आयोग एमपीपीएससी की तैयारी करने का सोचा तो मैं इंदौर आया और इंदौर आने के बाद मैंने काफी जांच पड़ताल की और कौटिल्य एकेडमी में एडमिशन लिया। मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस आशा और उम्मीद को ध्यान में रखकर मैंने एडमिशन लिया था वह आशा और उम्मीद पूरी हुई और मुझे कौटिल्य एकेडमी में सही मार्गदर्शन मिला जिसकी वजह से आज मैं वहां पहुंच पाया जहां का सोचा था।
